संजय झाला इस दौर के ऐसे कवि हैं, जिन्होंने हास्य को एक नए तेवर और ताज़गी के साथ प्रस्तुत किया है। उन्हें सुनना जितना सुखद लगता है, पढ़ना भी उतना ही सुखद है। वह उन महत्वपूर्ण हस्ताक्षरों में हैं, जो हर जगह अपनी छाप छोड़ते हैं। उनके प्रस्तुति करण व लेखनी में जो तेवर हैं, वह उन्हें इस दौर के अन्य रचनाकारों से महत्वपूर्ण बनाता है।- सुरेन्द्र शर्मा
Surendra Sharma