संजय झाला बहुमुखी हास्य-व्यंग्य प्रतिभा से युक्त हैं और यह इसी प्रतिभा का परिणाम है कि वह विसंगतियों को हास्य-व्यंग्य के रूप में अभिव्यक्त करने के लिए संप्रेषण के विभिन्न भाषिक माध्यमों का प्रयोग करते हैं। उनके पास वैचारिक सोच व प्रहारात्मक क्षमता है। विसंगतियों की पहचान की गहरी दृष्टि है और भाषा का तेवर है। संजय झाला अपनी सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक एवं धार्मिक वैषम्य की चिंताओं से युक्त आरंभिक बिन्दु पर हथियारों से लैस खड़े हैं, परन्तु अपने दुश्मन पर प्रहार करते हुए वे गांधीवादी हो जाते हैं।
- प्रेम जन्मेजय
Prem Janmejay