संजय विद्वान व मौलिक कवि

आज अगर कोई मुझसे पूछे कि आपकी हास्य-व्यंग्य की विधा में युवा पीढ़ी में मौलिक विद्वान और आपकी विधा को पूरी निष्ठा एवं अस्मिता के साथ समर्पित कौन कवि है, तो निश्चित जिस कवि का नाम मेरे होंठों पर बरबस आएगा, उसका नाम संजय झाला होगा। कलकत्ता कवि सम्मेलनों के प्रवास के दौरान पहली बार 10-12 दिन संजय मेरे साथ रहे, जिसमें मैं यह तय नहीं कर पाया कि वे श्रेष्ठ कवि ही नहीं, वरन् विद्वान कवि के साथ इन्सानियत से ओत-प्रोत कवि हैं। वे इन्सान बड़े हैं या कवि बड़े हैं, जब भी आप इनसे मिलोगे तो आप भी मेरी ही तरह उलझन में पड़ जाओगे। इस खूबसूरत, श्रेष्ठ, विद्वान एवं मौलिक कवि को एक नेक इन्सान के रूप में पाकर काव्य मंच अपने आपको गौरवान्वित महसूस कर रहा है। मेरा मानना है कि एक बड़ा इन्सान ही बड़ा कवि होता है और इन दोनों गुणों के मालिक है संजय झाला।

- माणिक वर्मा
Manik Verma
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