संजय के व्यंग्य में दृष्टि आकार लेती है

टेपा सम्मेलन में संजय झाला काव्यधारा से मैं निश्चित ही प्रभावित हुआ, लेकिन उनके व्यंग्य पढ़कर सुखद आश्चर्य हुआ।
बहुत कम लोग ही हैं, जो मंच पर काव्य पाठ करने के साथ सोच-समझ कर व्यंग्य लेखन कर लेते हों।
संजय के व्यंग्य में दृष्टि आकार लेती दिखाई देती है।

- डॉ. शिव शर्मा, व्यंग्यकार एवं अध्यक्ष, अखिल भारतीय टेपा सम्मेलन
Dr. Shiv Sharma
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