वे प्रथम श्रेणी के हास्य-व्यंग्यकारों की पंक्ति में आते हैं। वे आजकल की गुटबाज़ी, मंचीय राजनीति से दूर साहित्य साधनारत हैं। इन्होंने राजनीतिक, सामाजिक व सांस्कृतिक विद्रूपताओं पर प्रयोगधर्मी व्यंग्य लेखन किया है, जो बेजोड़ है। वे एक ऐसे अच्छे, सच्चे हंसमुख इन्सान हैं, जो प्रेम करना जानते हैं, प्रेम देना जानते हैं। मेरी मान्यता है जो अच्छा इन्सान नहीं है, वो अच्छा कवि भी नहीं हो सकता। मेरी राय में संजय के समकालीन लोग इनसे अच्छा इन्सान व अच्छा कवि होना सीखें।
- पद्म भूषण गोपाल दास नीरज
Padm Bhushan Gopal Das Neeraj